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हिंदी आलोचना : अतीत और वर्त्तमान, हिंदुस्तानी अकादेमी, अलाहबाद,1988

 

महत्वपूर्ण हिंदी लेखन की प्रासंगिकता पर निबंध, इतिहास से लेकर भविष्य में